बुधवार, 26 सितंबर 2018

शिक्षकों की मांग कर रहे छात्रों को गोली क्यों मारी गयी?


बंगाल में आज बीजेपी के बंद के दौरान कई जगह हिंसा और अगजनी जैसी घटनायें सामने आयी... कहीं कहीं टीएमसी वालों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट भी की लेकिन ये अब आम बात है... बंद के दौरान होने वाली हिंसा से अब हमें खास फर्क नहीं पड़ता हम ये मान चुके हैं कि बंद का पर्यायवाची हिंसा ही है.... खैर, हम सब ये जानना चाहते हैं कि आखिर बंद क्यों बुलाई गई..... वो कौन सी घटना थी जिसकी वजह से बीजेपी ने बंगाल में बांगला बंदो की कॉल दी... अगर आप ये सोच रहे हैं कि इस्लामपुर में पुलिस की गोली से दो छात्रों की मौत के बाद बंद बुलाई गयी है तो आप सही सोच रहे हैं....लेकिन बात दरअसल इतनी सी है नहीं... इसके पीछे भी एक कहानी है...
दरअसल इस्लामपुर के द्वारीभिट्टा हाईस्कूल में दो उर्दू शिक्षकों की बहाली की गई थी. लेकिन स्कूल में एक भी उर्दू का छात्र नहीं था... प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग थी कि उर्दू शिक्षकों की जरूरत के बजाए उन्हें अंग्रेजी, बांग्ला समेत दूसरे विषय के शिक्षकों की जरूरत है..... इसे लेकर छात्र लगातार आंदोलन कर रहे थे....गुरुवार को आंदोलनकारियों ने उग्र रूख अख्तिहार कर लिया जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची गई. जिसके बाद पुलिस और छात्रों के बीच भिड़ंत हो गई... ऐसा पुलिस का कहना है.... वहां मौजूद चश्मदीद छात्रों और स्थानीय लोगों ने पुलिस पर ही आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने जबरदस्ती गोली चला दी. जिसके बाद एक छात्र विप्लव सरकार  की घटना स्थल पर ही मौत हो गई वहीं दूसरे घायल छात्र तापस बर्मन की मौत असप्ताल ले जाने के क्रम में हो हुई....
आपत्ति इस बात से नहीं है कि स्कूल में किसी उर्दू के शिक्षक की बहाली की गई.... उर्दू के शिक्षक की बहाली पर आपत्ति तब भी नहीं है जब वहां उर्दू पढ़ने वाला  एक भी विद्यार्थी नहीं है... लेकिन आपत्ति इस बात पर है कि जब स्कूल में दूसरे विषय के शिक्षकों की कमी क्यों है ? क्या आश्यकता के अनुसार वहां विज्ञान,  अंग्रेजी और बांगला के शिक्षक नियुक्त नहीं किये जाने चाहिए थे... क्या इसका जवाब ममता सरकार के पास है कि आजतक इन विषयों के शिक्षक उक्त स्कूल में क्यों नहीं बहाल किये गए... क्या इसका जवाब उन पुलिस वालों के पास है जिन्होंने निहत्थे छात्रों पर गोली चलाकर उन्हें जान से मार डाला...?  क्या छात्रों को गोली से मारा जाना ही उन्हें शांत करने का तरीका था... छात्र क्या इतने उग्र हो गए थे, कश्मीर के पत्थरबाजों से भी ज्यादा? क्या छात्रों को आश्वासन देकर उनका प्रदर्शन रोका नहीं जा सकता था... क्या मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई गयी है? सरकार ने क्या कदम उठाये हैं...बंगाल के लोग अपने अपने क्षेत्र में सरकार के प्रतिनिधियों से तो सवाल कर ही सकते हैं... कीजिए... 

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...