महिलाओं ने ये छेड़ा कैसा बवाल है...
अच्छे अच्छो पे भी देखो उठता सवाल है ...2
जो थे ये सोचते छुपा लेंगे हर बात
चुप-चाप करते गए काले करामात
प्यादे से भी पड़ता कभी शह कभी मात
कम न समझो कभी किसी की भी औकात
सोशल मीडिया पर होती दिल की हर बात
मी टू ने आकर खोले सारे वो हाल हैं
महिलाओं ने ये छेड़ा कैसा बवाल है...
अच्छे अच्छों पे भी देखो उठता सवाल है.
अकबर हों या हो बिरबल
भारी है सब पे स्त्रीबल ...
कहानी भले पुरानी...
पूरी याद है जुबानी....
हैस टैग से बिगड़ा सारा हाल चाल है..
कुछ तो मुफ्त में भी हुए हलाल हैं
जो इनका हाल है वही उनका भी हाल है
मुश्किल है बच निकलना ये राहु काल है
महिलाओं ने ये छेड़ा कैसा बवाल है...
अच्छे अच्छों पर भी देखो उठता सवाल है ..
नोट- इस कविता को बिना अनुमति उद्धृत या कॉपी किये जाने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
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