
आशय नहीं समझे तो कोई बात नहीं... पोस्ट पढ़ लेने के बाद एक बार फिर से इन शब्दों को पढ़ लीजिएगा सब समझ में आ जायेगा... यहां चाकू कासिद है जो चलते हुए खत लिख रहा है एक मजहब की तरफ से दूसरे धर्म के नाम पर... और ये चाकू गर्दन पर चल रहा है.. धीरे-धीरे हलाल फॉर्मेट में गर्दन बकरे या मुर्गे की नहीं है गर्दन कमलेश तिवारी की है... गर्दन कट रही है... खून टपक रहा है.... कमलेश तिवारी दर्द से तड़प रहे हैं असमय ही प्राण छूटना चाहता है गर्दन कटता जाता है गर्दन से खून के फव्वारे बह रहे हैं... कमलेश तिवारी तड़प तड़प कर मर जाते हैं... मारने वाले चाकू और बंदूक दोनों साथ लेकर गए थे... मकसद सिर्फ मारना होता तो सर में गोली मार कर फरार हो सकते थे.. क्लोज रेंज से मौत तय थी लेकिन नहीं... एक मजहब का दूसरे धर्म के नाम पयाम दिया जाना था चाकू से हलाल कर के सो दिया गया... कमलेश तड़पते हुए टेबल के नीचे अपने गले से बहते रक्त के फव्वारों के साथ दम तोड़ देते हैं... देश भर के मुसलमान जश्न में डूब जाते हैं... ट्वीटर से लेकर फेसबुक तक मुसलमान एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं... गर्दन काटने वाले को शाब्बासी दी जा रही है... 51 लाख की रकम तो बंट भी चुकी होगी...
हिंदू अपनी मर्दानगी फेसबुक और ट्वीटर पर दिखा रहे हैं... उनमें मैं भी शामिल हूं... योगी जी और मोदी जी चुनाव जीतने में व्यस्त हैं... कमलेश तिवारी की आत्मा हिंदुओं से इंसाफ मांग रही है... कमलेश की आत्मा अकेले नहीं है मुर्शिदाबाद वाले परिवार की आत्मायें भी उसी काउंटर पर हैं... जहां से हिंदुओं की कायरता साफ-साफ दिखाई पड़ रही है... इन अतृप्त आत्माओं को अफसोस हो रहा है... हम किन नपुंसकों के लिए जान से मार दिये गए?
कमलेश की आत्मा यूपी पुलिस से भी उम्मीद लगाये बैठी है... सरकार भाजपा की पुलिस योगी की कुछ तो उम्मीद बनती है... लेकिन एक डर भी है कहीं ममता के पुलिस की तरह यूपी पुलिस भी किसी ईंटा ढ़ोने वाले मजदूर को न ले आये...और कह दे केस सुलझ गया है, कमलेश तिवारी ने बीड़ी पी कर पैसे नहीं दिये थे तो मजदूर ने गुस्से में उसकी हत्या कर दी...
इस हत्या को भी जायज ठहरा दिया जायेगा कि कमलेश तिवारी ने पैगंबर को समलैंगिक क्यों कहा? आयतों चतुर्भुजों और त्रिभुजों में लिखे लेख किसी भी व्यक्ति के हत्या को जायज ठहरा सकते हैं..क्योंकि इरादा पाक औऱ साफ है... हिंदू देवी देवताओं की नग्न तस्वीरें उनका उपहास उनपर अश्लील टिप्पणियां सब जायज है लेकिन मुसलमानों के किसी पैगंबर के बारे में दो लाइन लिख दीजिए तो गर्दन काटे जाने का भय...क्योंकि यहां भारतीय कानून सिर्फ हिंदुओं के लिए है मुसलमानों का अपना कानून चलता है...और वही मजहबी तौर पर जायज है...
दोस्तों यह एक बीमारी है जो भारत में तेजी से फैल रही है...
जो आपसे सहमत न हो उसका गला रेत दो... हिंदुओं को पैगाम(संदेश) तो मिल चुका है अब इसे देखना कैसे है यह आप खुद तय कीजिए...
'कासिद पयाम ए खत को देना बहुत न तूल, बस मुख्तसर ये कहना अंजाम होगा यही'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें