गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

आसमान गिर रहा है... संभलो

लोग कहते हैं मीडिया फिल्ड में नौकरी नहीं है... मंदी है...  वगैरा - वगैरा
मैं जब पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था मुझे कई लोगों ने कहा क्या सोच कर इस क्षेत्र में आ रहे हो?  कुछ नहीं है इसमें... उनकी बातों को अनसुनी करते हुए मैं फिर भी कतार में खड़ा हुआ...  खुद पर भरोसा था कि अमुक आदमी कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूं. जब संस्थान से जुड़ा नये लोगों से मुलाकात हुई तब पत्रकारिता जगत में प्रचलित एक शब्द के मायने समझ में आये...  सेटिंग...  
सब सेटिंग का खेल है... सेटिंग अर्थात जान-पहचान...  चमचागिरी...  चाटुकारिता आप अपने हिसाब से शब्द चुन सकते हैं... 
आप में कितनी काबलियत है आप इससे आगे नहीं बढ़ेंगे वह सेकेंडरी है पहली प्रथमिकता है कि आप कितने अच्छे चाटुकार हैं.  इसका  परिणाम है कि आपको टीवी पर अच्छे रिपोर्ट्स देखने को नहीं मिलते. अखबारों में अच्छे लेख नहीं मिलते... मैग्जिन वगैरा में अच्छी कहानियां नहीं मिलती...  क्योंकि हर जगह सेटिंग है...  सेटिंग से उपजे पत्रकार हर रोज़ पत्रकारिता का गला घोंट रहे हैं...  
कई दफा आम लोगों ने मीडिया कर्मियों की गलतियां पकड़ी हैं अब वे ट्रोल भी होते हैं...  मैं ह्यूमैन एरर   की बात नहीं कर रहा..  बौधिक एरर की कर रहा हूं...  सेटिंग  पत्रकारों को आप पद तो दिला सकते हैं लेकिन बौधिकता कहां से दिलायेंगे... बड़ी कुर्सियों पर बैठे लोग शुक्राचार्य की तरह  दैत्यों पर संजीवनी मंत्र मार कर उन्हें जीवन तो दे सकते हैं लेकिन स्वर्ग कभी नहीं दिला सकते..  
बिना बौधिकता के पद और अवसर मिल जाने के बाद जो दुर्गति मीडिया की होनी चाहिए वो हो रही है... और होती रहेगी. पहले पत्रकारों को समाज में प्रतिष्ठा की नजर से देखा जाता था अब लोग उन्हें ब्लैकमेलर समझते हैं... महंगे सस्ते के चक्कर में मीडिया घरानों ने ऐसे लोगों को माइकें थमा दी हैं जिन्हें चार लाइन लिखने बोलने और पढ़ने का ढंग नहीं है.  ठीक ऐसी ही स्थिती न्यूजरुम के भीतर भी है...  सेटिंग वाले सस्ते पत्रकारों को लिखना तो नहीं आता लेकिन वे कॉपी पेस्ट अच्छा करते हैं ...   ज्यादातर पत्रकार कॉपी पेस्ट ही तो कर रहे हैं...  सच यह है कि मीडिया विश्वसनीयता खो रही है.. खो चुकी है इसलिए नहीं लिख रहा क्योंकि मैं जिंदा हूं.

अटैच किये गए चित्रों को देखिये...







अमित शाह के इंस्टाग्राम पर एक्टिव होने की खबरे हैं...  5 घंटा पहले से लेकर 20 घंटा पहले तक लेख लिखे गए हैं...  किसी एक सेटिंग वाले पत्रकार ने यह लेख लिखा और बाकि के सभी मीडिया घरानों में काम कर रहे सेटिंग वाले पत्रकार इसे कॉपी पेस्ट करने लगे...  किसी ने लिखने से पहले खबर की पुष्टी जरुरी नहीं समझी...  सब आसमान गिर रहा है वाले खरगोश के पिछे -पिछे भागने लगे...  
अमित शाह ने दरअसल इंस्टाग्राम 4 मई 2015 को ज्वाइन किया था...  आप खुद भी इंस्टाग्राम पर जा कर देख सकते हैं...  लेकिन खबर इस तरह लिखी गई मानो अमित शाह ने कल ही इंस्टाग्राम पर सक्रिय हुए हैं... अब आप कहेंगे कि यह अफवाह कहां से उड़ी... दरअसल अमित शाह ने अपने ट्वीटर हैंडल पर एक पोस्ट के जरिये लोगों से इंस्टाग्राम पर  जुड़ने की अपील की थी .. बस फिर क्या था... आसमान गिर रहा है...  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...