मंगलवार, 5 नवंबर 2019

होशियार ख़बरदार गज़वा-ए- हिंद के लिए तैयार

क्या आपको गज़वा-ए-हिंद के बारे में पता है? इसके लिए आजकल तैयारियां जोरों पर है सोशल मीडिया से लेकर आतंकी कैंपो तक...दफ्तर से लेकर घरों तक तैयारी चल रही है.
यहां तक कि गूगल प्ले स्टोर पर भी गज़वा ए हिंद एप उपलब्ध है... आश्चर्य है गूगल इस तरह की कट्टता को खुले आम फैलाये जाने की अनुमति कैसे दे सकता है...
पहले समझते हैं गज़वा क्या होता है...  इसे जानने के लिए मैंने  सोशल मीडिया से लेकर अपने मुस्लिम साथियों तक का सहारा लिया...  मेरे मित्र मो. हम्माद ने जानकारी दी कि गज़वा शब्द का इस्तेमाल उस युद्ध के लिए किया जाता है जिसमें प्रोफेट मोहम्मद साहब ने हिस्सा लिया था.  अब वो कौन सी लड़ाई में शामिल हुए हम इसके अंदर न जाकर गज़वा ए हिंद के दूसरे व्याख्याओं पर आते हैं...  गजवा-ए-हिंद का अर्थ हिंदुस्तान के खिलाफ  निर्णायक लड़ाई से है.  इसी प्रकार की व्याख्या आतंकी संगठनों के भाषण में की जाती है और उसमें मौजूदा राजनीतिक बातों को जोड़कर नौजवानों को यह समझाया जाता है कि यह गजवा-ए-हिंद दरअसल, भारत के खिलाफ जंग की बात है और जिसकी पेशेनगोई ( भविष्यवाणी) खुद पैगंबर ने की है. इन्हीं रवायतों का सहारा लेकर साबित किया जाता है कि भारत के खिलाफ जेहाद इस्लाम का काम है... 
गज़वा ए हिंद के लिए फौज खड़ी करने में सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है... अब सवाल है कि क्या गूगल  भी गज़वा ए हिंद की लड़ाई में शामिल हो रहा है...?
लोग हिंदुओं से कितनी नफरत करते हैं देखना हो तो इस ऐप के लिए दिये गए रिव्यू को पढ़िये...एक आध मैं शेयर कर रहा हूं अंग्रेजी में है उसका हिंदी कुछ इस प्रकार होगा-
इंसा अल्लाह मैं खुद इस लड़ाई में अपने मुस्लिम भाईयों के साथ शामिल होउंगा... लेकिन अगर किसी कारण से मैं इस लड़ाई में शामिल नहीं हो सकता तो अपने बच्चों के लिए खूब सारी दौलत छोड़ जाऊंगा और उन्हें इस लड़ाई के लिए तैयार कर के जाऊंगा...  इस तरह के कमेंट्स की कोई कमी नहीं है.
बात के प्रचारित होने के बाद देश के लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया और एप डाउनलोड कर के रिव्यू में कम स्टार देने के साथ साथ इस एप को हटाने की मांग भी कर रहे हैं... ज्यादातर लोगों की शिकायत मुसलमानों से नहीं गूगल से है... मुझे एप बनाने वालों से भी उतनी ही शिकायत है जितनी गूगल से है. क्योंकि मुझे अपने संस्कृति और अपने देश से बहुत प्यार है और मैं चाहता हूं कि जब तक सूर्य में रौशनी हो तबतक सत्य  सनातन धर्म की जयकार होती रहे. 
आप कल्पना कीजिए इस मानसिकता की..  भले ही दुनियां में हर युग और साल में युद्ध हुए हैं हो रहे हैं लेकिन ईमानदारी से बतायें कि क्या आप युद्ध चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे किसी युद्ध में शामिल हों? यह किस प्रकार की मानसिकता है..? ये कौन लोग हैं जो गज़वा ए हिंद का इंतजार कर रहे हैं?
मुझे यकीन है जब आप यह सवाल उठायेंगे तो कुछ लोग आपसे कहेंगे यह कुछ नहीं है .. यह सब तो जाहिलों(अनपढ़) का काम है.  सच मुच क्या यह किसी अनपढ़ का काम है?
आंखें खोलिये और समझिये किसी अनपढ़ ने एप डिजाइन नहीं किया होगा....
समझिये एप पर नफरत भरे पैगाम अपलोड करने वाला जाहिल नहीं है....
समझिये इसे गूगल प्ले तक पहुंचाने वाला, इसे गूगल प्ले पर उपल्बध करवाने वाला जाहिल नहीं है... यह सब पढ़े लिखों का काम है.
जो लोग इन्हें जाहिल बताकर बात टाल जाते हैं न ये वही लोग हैं जो कमलेश तिवारी को हवाला स्टाईल में काटे जाने पर अंदर ही अंदर प्रसन्न होते हैं.ये वही लोग हैं जो कश्मीर से पंडितों को मारे जाने को चुप रह कर सपोर्ट करते हैं...
बगलें झांकने का समय जा चुका है... अब समय है अपने को तैयार रखने का... मैं यह नहीं कहता कि आप तलवार हाथ में लेकर बाहर निकल जायें, मैं यह आवश्य कहुंगा कि हमें संगठित होना होगा ताकि हमारे खिलाफ कोई तलवार उठाने की हिम्मत न करे... कोई लाउडस्पीकरों से हमें अपना घर छोड़ने की धमकी न दे सके...  कोई हमारी बहु बेटियों को बुरी नज़र से न देख सके...  गज़वा ए हिंद के नाम से उनकी आत्मा कांप जाये...  समय रहते सचेत हो जायें. आप माने या न मानें आज मानें या कल मानें यह एक सत्य है कि दुनियाभर में यदि कहीं पर भी आतंकवाद है तो उसके पीछे इस्ला‍म की सुन्नी विचारधारा के अंतर्गत वहाबी और सलाफी विचारधारा को दोषी माना जाता है. इनका मकसद है जिहाद के द्वारा धरती को इस्लामिक बनाना... जैसे ही बात इस्लाम की आती है जिन मुसलमानों को इस तरह की सोच का विरोध करना चाहिए वे चुप्पी साध लेते हैं और मौन हो कर इस विचार को सपोर्ट करते हैं....


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...