गुरुवार, 14 नवंबर 2019

विशिष्ठ थे वशिष्ठ


जब हम महान गणितज्ञों की बात करते हैं तो उसमें बिहार के वशिष्ट नारायण सिंह का नाम पहली पक्ति में आता है.  आज उनका स्वर्गवास हो गया. मानसिक बीमारी से पीड़ित हो जाने के कारण बिहार की यह प्रतिभा उस अंजाम तक नहीं पहुंच सकी जहां तक यह पहुंच सकती थी.  इसके बावजूद स्वस्थ्य रहते इन्होंने कम समय में ही उपल्बधियों का ऐसा पहाड़ खड़ा किया है जो अपने आप में मील का पत्थर है.  अगर वो मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं होते तो गणित के सबसे बड़े पुरस्कार के हकदार होने का माद्दा रखते थे. वे सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित थे.
इस महान गणितज्ञ ने आइंसटीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी. वशिष्ट जी की विद्वता को लेकर कई कहानियां मशहूर हैं. कहते हैं कि वे अक्सर अपने प्रोफेसर को भी गणित हल करते हुए टोक दिया करते थे. उनके बारे में यह भी मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही रहा था.
कहते हैं कि वशिष्ट जी को न तो जीवन संगिनी का साथ मिला न ही देश के उस वक्त के तंत्र का.  जो उनके मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के प्रमुख कारण हो सकते हैं.  इन सब के बावजूद उन्होंने नौजवानों को प्रेरित करने के साथ-साथ बिहार के नाम प्रतिभा का एक और तमगा लगा दिया .
खबर है कि वशिष्ट जी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ.. अच्छी बात है.. लेकिन उसके पहले जो कुछ भी हुआ वह ठीक नहीं है... नकारी के मुताबिक वशिष्ठ नारायण सिंह का पटना के पीएमसीएच में निधन हुआ. मृत्यु के पश्चात वशिष्ट जी को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे.इस बीच उनका ये वीडियो वायरल होने लगा  जिसने बिहार सरकार के तमाम दावे पर सवाल खड़े कर दिये हैं..वीडियो में वशिष्ठ नारायण सिंह के परिजन उनके पार्थिव शरीर के साथ एंबुलेंस का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि पीएमसीएच प्रशासन ने सिंह के परिजनों को एंबुलेंस तक मुहैया कराने की औपचारिकता नहीं निभाई.  अस्पताल के बाहर लावारिश लास की तरह इन्हें रख दिया गया है...   धीरे-धीरे मीडिया को उनकी मृत्यु का पता चलता है. उनके वीडियो और तस्वीरें वायरल होने लगती हैं...  फिर जाकर अस्पताल प्रशासन को अपनी गलती का एहसास होता है.. तत्पश्चात राज्य सरकार भी हरकत में आती है और राजकीय सम्मान के साथ वशिष्ट नारायण सिंह को विदा किया गया.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...