बुधवार, 18 दिसंबर 2019

CAA तो बहाना है हिंदुओं पर निशाना है...

अगर आपको लगता है कि CAA और NRC पर मामला शांत होने लगा है तो आप भूल कर रहे हैं.. यह तभी शांत होगा जब आप CAA
और NRC  के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे. 
सच तो यह है कि इससे भी बड़ी साजिश हो रही है. पूरे देश में वृहत पैमाने पर अशांति, अगजनी, हिंसा और शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है. इसके लिए दिल्ली में मुस्लिम संगठनों और समाजिक कार्यकर्ताओं(मुस्लिम) की मीटिंग हुई है. इसमें देश भर से 50 से ज्यादा अलग-अलग मुस्लिम संगठनों के लोग शामिल हुए.  मीटिंग के दौरान सभी मुस्लिम संगठनों ने मिलकर एक नया संगठन बनाया है जिसका नाम रखा गया है ALLIANCE AGAINST CAA AND NRC...   इस मीटिंग में जो फैसले लिये गए हैं वो निम्न हैं... 
पूरे देश में NRC और CAB  का विरोध
देश भर में प्रदर्शन की रुप रेखा तैयार की जायेगी, लोग (उन्मादी) जुटाये जायेंगे
देश भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन (उतना ही शांतिपूर्ण जितना की दिल्ली , बंगाल और असम में हुआ है)
 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरे मामले को ले जाने के लिए कदम उठाये जायेंगे. 
सरकार में शामिल लोगों खुद प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कुछ मीडिया घरानों की रिपोर्ट्स में भी बार बार समझाये जाने पर भी लोग समझने को तैयार नहीं है.. क्या आपको सच में ऐसा लगता है कि लोग समझने को तैयार नहीं है? 
अगर आप यह सोच रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं... क्योंकि जो लोग मुसलमानों को रोड पर उतरने का आह्वान कर रहे हैं वे भलिभांति सच्चाई समझते हैं लेकिन फिर भी उन्हें इसी बहाने मौका मिल गया है यहां के लोगों के सामने शक्ति प्रदर्शन का.. वे आपको समझाना चाहते हैं कि देखो अभी हम संख्या में कम हैं लेकिन नाकों में तुम्हारे दम है..  
अभी तक की सच्चाई यह है कि भारत की जनता, सरकार और उपद्रवियों में कानून बनाकर  सरकार जीत चुकी, हंगामा और आग लगाकर उपद्रवी जीत गए, भारत की एक बड़ी जनता हार गई... जो फेसबुक और ट्वीटर पर तो नज़र आती है लेकिन रोड पर जल्दी नहीं उतरती,.. उतरना भी नहीं चाहिए हर बात को लेकर लेकिन बात जब अस्तित्व की आजाये तो उतरना पड़ता है... मैं यह नहीं कह रहा कि हमारे अस्तित्व पर फिलहाल कोई खतरा है..  लेकिन आगे भी कोई खतरा न आये इसके लिए यह बताना जरुरी है कि हम घरों से नहीं निकल रहे इसका अर्थ यह नहीं कि आप हमारे बेहतरी के लिए उठाये गए कदमों के खिलाफ आवाज उठाकर हमारे ही देश में हमारी ही सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाये और हमें गालियां दें. इनके ललकार का जवाब आपको हुंकार से देना होगा... तभी शांति होगी अन्यथा ये हर दूसरे दिन किसी न किसी बहाने सड़कों पर उतरेंगे औऱ धीरे धीरे एक आतंक और भय का माहौल बनाना शुरु करेंगे आप अपने ही देश में सड़कों पर निकलने से डरेंगे... इसलिए इन उपद्रवियों को जो गलत फहमी हो गई है उसे दूर करने के लिए आपको एक बार फिर से हुंकार भरनी पड़ेगी.  फिर अचानक आप देखेंगे कि गंगा जमुनी तहजीब की नदियां औऱ बयार बहने शुरु हो जायेंगे. 
आप सोच रहे होंगे कि मैं यह सब क्या कह रहा हूं, मैं यह सब यू ही नहीं कह रहा हूं... अगर आपको लगता है कि विरोध सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि लोगों को इस एक्ट के बारे में सही जानकारी नहीं है तो आप गलत सोच रहे हैं... लोगों को अच्छे से पता है कि इस एक्ट से यहां के मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है...  वे जानते हैं कि यह बिल सताये गए लोगों को सहारा देने के लिए लाया गया है लेकिन उनमें मुसलमान शामिल नहीं हैं भले वो दूसरे देश के सही लेकिन उनका न शामिल करना ही फसाद की जड़ है...  इसी से इनके भीतर के गज़वा वाले इच्छा को पहचानिये.... 
बात सीधी सी है इस्लाम के नाम पर बना मुल्क मुसलमानों के लिए बना, मुसलमानों ने बनाया, जिन्ना के नेतृत्व में हजारों हिंदुओं की लाशों पर ये मुल्क बना... मुल्क लेने के बाद फिर वहां से आये मुसलमानों को हम यहां नागरिकता क्यों दें? अगर हिंदुस्तानी कहलाने का इतना ही शौख है तो पाकिस्तान का हिंदुस्तान में विलय करने के लिए आवाज उठाओ न, हम भी साथ देंगे.
 आप दुनियां भर के मुसलमानों को अपना मानते हैं हम अपने ही देश से अलग हुए हिस्से के लोगों को अपना न मानें उनकी सहायता न करें? जानवरों सी जिंदगी बिताने के लिए सड़कों पर छोड़ दें... क्योंकि वे मुसलमान नहीं है... ऐसा बिल्कुल नही होगा....  हम किसे नागरिकता दें किसे नहीं यह तय कौन करेगा? यहां के लोग तय करेंगे या खुद वो जिन्हें हमने यहां रहने दिया? एक तो हमने तुमको रहने दिया दरियादिली दिखाई आज तुम हमें बताओगे हम किसे रखें किसे नहीं?  मैं इन कठोर शब्दों का इस्तेमाल शायद नहीं करता अगर पढ़े लिखे मुसलमान उन उपद्रवियों को समझाने की कोशिश करते कि यह मुल्क तुम्हारा है तुम्हें कोई खतरा नहीं है... गंगा जमुना तहजीब याद कर लो... जिसकी दुहाई देते फिरते हो....लेकिन नहीं उलटे इन्ही लोगों का असली चेहरा सामने आ गया.  पता चल गया कि कोई गैर मुस्लिम अगर दुखी है तो उससे इन्हें कोई लेना देना नहीं है. इन्हें उम्मा की फिकर है. बस....तो जिस तरह आपको उम्मा की फिकर है उसी तरह हमें भी अपने उम्मा की फिकर है जो हमारे हिस्से हैं.  
हालांकि कुछ मुसलमान साथी हैं जो एक्ट के पक्ष में हैं लेकिन उन्हें उन्मादी ठेकेदार खास सर्टिफिकेट से नवाज रहे हैं...फिर भी वे लड़ रहे हैं अपनी बात रख रहे हैं मुझे इस बात की खुशी है.  
अब जिम्मेदारी 80 फीसद वालों की है कि वे अपने उम्मा के लिए खड़े हों. फेसबुक और ट्वीटर के साथ साथ अपने भाइयों का हाथ थामने के लिए सड़कों पर भी उतरें...CAA का समर्थन करें...और सरकार पर जल्दी से जल्दी NRC लाने का दबाव बनायें.... 
 न ही लक्ष्मी कुलक्रमज्जता, न ही भूषणों उल्लेखितोपि वा ...खड्गेन आक्रम्य भुंजीतः , वीर भोग्या वसुंधरा.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...