CAA के खिलाफ प्रटेस्ट करने वाले ज्यादातर लोगों ने न तो नागरिकता कानून को पढ़ा है जो भारत के नागरिकों के लिए है ही नहीं, न ही NRC पर सरकार का कोई ड्राफ्ट उपलब्ध है जिसे निशाना बना कर ये लोग उपद्रव मचाये हुए हैं. तो आखिर सुबह हाथों में तिरंगा निकलने वाली भीड़ शाम होते होते आग क्यों लगाने लगती है? मौके पर ऐसे-ऐसे पत्थर कहां से आ जाते हैं जो दूर-दूर तक उपलब्ध नहीं हैं... क्या विपक्ष का कोई नेता खड़ा होकर दंगो की अगजनी की निंदा करता है?
अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रदेश में हो रहे विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य अब नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन नहीं है बल्कि पुलिस पर हमला और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाना हैं. यह तो आप समझ गए होंगे... साथ ही आपने शाम होते होते मध्यम-मध्यम ही सही लेकिन यह भी जरुर सुना होगा कि सरकार उपद्रवियों से अपील कर रही है कि वे उन्हें CCA पर सुझाव दें वो इसपर विचार करेगी... तो क्या कुछ मुठ्ठी भर लोग देश के कुछ शहरों में आतंक फैलाकर अपनी बात मनवाने की क्षमता रखते हैं? अगर आज ऐसा हो गया तो मैं दावे के साथ कहता हूं आने वाले दिनों में देश के एक और विभाजन की मांग तेज हो जायेगी... डायरेक्ट एक्शन पार्ट टू की कॉल दी जायेगी.... लेकिन अब नये भारत में यह संभव नहीं है क्योंकि नौजवानों में राष्ट्रीयता की भावना का नवसंचार हुआ है... नीचे शेयर किये गए वीडियो भी आज ही के हैं... एक तरफ जहां बड़े चैनल वाले उत्पात मचाते लोगों को दिखाने में व्यस्त थे उसी समय दूसरी तरफ आम लोगों के मोबाइल कैमरे CAA बिल के समर्थन में निकाले जा रहे मार्च और नारों को रिकॉर्ड कर थे. ऐसा नहीं हो सकता कि चंद धार्मिक उन्मादियों के विरोध के सामने बहुमत से चुनी हुई सरकार, और करोड़ों लोगों की सहमति छोटी पड़ जाये. जिन्होंने भाजपा का मैनिफेस्टो पढ़ा, नेताओं के भाषण सुने और वोट दिया वो अगर रास्तों पर अगजनी और पत्थरबाज़ी नहीं कर रहे हैं तो उन्हें नज़रअंदाज करने की भूल न करें... क्योंकि सिर्फ इसकी भनक से कि सरकार CAA और NRC पर सुझाव सुनने को तैयार है... राष्ट्रवादी सड़कों पर उतरने शुरु हो गए हैं... फिलहाल इसे ट्रेलर समझा जा सकता है... पिक्चर अभी बाकी है।
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