शनिवार, 4 जनवरी 2020

ईरानी कमांडर मरा तो सड़कों पर आ गए, कश्मीरी पंडितों के समय क्या कर रहे थे?


ईरान के जनरल सुलेमानी को  अमेरिका ने बगदाद में मार गिराया. जिसकी धमक हिंदुस्तान तक आ पहुंची. वैसे तो पूरी दुनियां में इस बात की चर्चा है लेकिन हिंदुस्तान में इस हत्या के खिलाफ आवाज़ उठ रही है. लोग सड़कों पर उतर आये... सड़कों पर लोगों का उतर आना आजकल एक फैशन बन चुका है.  शाहीन बाग़ से लेकर कई इलाकों में लोग बेमतलब कई दिनों से सड़कों पर हैं.  सरकार और मीडिया के तरफ से समझाये जाने का भी असर होता नज़र नहीं आ रहा है.. लेकिन आज विषय वह नहीं है आज बात सुलेमानी और उनकी हत्या को लेकर भारत में हो रहे प्रोटेस्ट पर करेंगे.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में वहां के हजारों मुसलमानों ने जनरल सुलेमानी के मारे जाने के जाने ख़िलाफ़ रैली निकाली. हज़ारों मुस्लिमों ने अमेरिका और इजरायल के ख़िलाफ़ भड़काऊ नारेबाजी करते हुए सुलेमानी के मारे जाने पर रोष जताया.  जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में हज़ारों की संख्या में मुस्लिमों ने निकल कर जनरल सुलेमानी की हत्या के ख़िलाफ़ अपना आक्रोश प्रदर्शित किया. वो सभी सुलेमानी के बड़े-बड़े पोस्टर्स अपने हाथों में लिए हुए थे. इस प्रदर्शन के भी कई वीडियो मीडिया वाले घुमा रहे हैं.सर्च कर के आप भी देख सकते हैं. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर लोगों का कहना था कि वे क़ासिम सुलेमानी के  प्रति अपने प्यार से पूरी दुनिया को वाकिफ कराना चाहते हैं. इसीलिए, हम सड़कों पर उतरे हैं. यहां तक तो ठीक है ..यही हम दर्दी अपने हम वतन कश्मीरी पंडितों के लिए क्यों नहीं थी जब उनकी बच्चियों का बलात्कार किया जा रहा था.. जब नौजवानों को लाउड स्पीकरों पर एलान कर कर के काटा जा रहा था... जब लाखों की तादाद में कश्मीरी पंडितों को उनके ही घरों से खदेड़ दिया गया...  कितने लोग सड़कों पर आये? 
अब कुछ लोग ज्ञान बांटने आयेंगे कि वो तो दहशतगर्दों ने किया इसमें वहां के मुसलमानों का क्या दोष? चलिये मान लिया कि आप  मार काट में शामिल नहीं थे तो आपने मार काट करने वालों को रोका?  क्या आपने कश्मीरी पंडितों को रोका कि भाईयों आप मत जाईये हम गंगा जमुना तहजीब वाले हैं. हम आपकी रक्षा करेंगे? क्यों कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने दिया गया? कहां गई थी कश्मीरियत जम्हूरियत और इंसानियत उस दौर में... देश के बंटवारे के समय हमने यहां के मुसलमानों को रोका था, उनकी रक्षा की थी दंगाईयों से क्या उसी की कीमत चुकानी पड़ रही है?हमने लाखों मुसलमानों को रोक लिया जो आज करोड़ों में हैं आपसे कश्मीरी पंडित नहीं रोके गए... और उल्टा तमाम तरह के इल्जाम भी यहां के बहुसंख्यकों पर लगा दिये जाते हैं .. आज भी सड़कों पर बैठे हैं बच्चों बुजुर्गों सबका इस्तेमाल किया जा रहा है शर्म भी नहीं आती.
यह सब सोच कर बुरा लगता है कि ईरान के जनरल की मौत से तो आपको फर्क पड़ जाता है, जिससे हमें आपत्ति नहीं है इंसानियत के नाते फर्क पड़े, लेकिन अपने हम वतन, अपने पड़ोसियों के लिए अफसोस का अ भी नहीं....तो बताईये हम आपकी नियत पर सवाल क्यों न उठायें...  ?
हमें बताइये  सीएए के और एनआरसी से आपको क्या लेने देना है? अगर गैर मुसलमानों को हम नागरिकता दे रहें हैं तो आप को क्या आपत्ति हो रही है? कांग्रेस को राजनीतिक आपत्ति है. सीएए और एनआरसी वे लाने वाले थे लेकिन ले आये बीजेपी वाले तो नुकसान हो गया आपका क्या जा रहा है?  

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...