परिवर्तन संसार का नियम है. महाराष्ट्र की राजनीति में भी समय एक बड़े परिवर्तन की तरफ इशारा कर रहा है. आज सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस का ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र राजनीति की लंबे समय तक की धूरि रहे बाल ठाकरे का भी जन्म दिन है और इसी दिन को राज ठाकरे ने चुना है पार्टी के झंडे के रीलांचिंग के लिए. अब मनसे का झंडा केसरिया यानी भगवा हो गया है. इसी के साथ समझा जा सकता है कि राज ठाकरे अब कट्टर हिंदुत्व की राजनीति शुरु करने जा रहे हैं. उनके भाषण को नेशनल मीडिया ने कवर नहीं किया. लेकिन लोकल समाचार पत्रों में छपे हैं.. जिस तरह से उन्होंने एक खास कम्यूनिटी पर हमला बोला है ठीक ऐसी ही बातें बाल ठाकरे अपने वक्त में किया करते थे.
बाल ठाकरे के साथ काम कर चुके राज ठाकरे खुद को शिवसेना का उत्तराधिकारी समझते थे. परंतु बाल ठाकरे ने पुत्र मोह में वही किया जो धृतराष्ट्र ने कभी किया था. उन्होंने अपने बेटे उद्धव को गद्दी सौंपी जो आज किसी तरह महाराष्ट्र के सीएम हैं. एक हिंदुत्ववादी और राष्ट्रवादी पार्टी कहलाने वाली शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाकर NDA से नाता तोड़ लिया. हालांकि उन्हें वोट BJP के साथ रहते मिले थे.
जब शिवसेना NDA में थी तो नरेंद्र मोदी को पसंद करने के बावजूद राज ठाकरे NDA से दूरी बनाये हुए थे. धीरे धीरे मनसे महाराष्ट्र की राजनीति से विलुप्त होने लगी. मनसे के ज्यादातर नेता अपनी राजनीति के लिए कम और गुंडागर्दी के लिए ज्यादा जाने जाते थे. जिसे लोगों ने साफ नकार दिया. अब जब शिवसेना NDA से अलग हो चुकी है तो महाराष्ट्र के रण में बीजेपी को भी साथी की जरुरत थी ताकि हार्ड कोर मराठियों को साधा जा सके. ऐसे में अंतिम सांसे गिन रही मनसे को बीजेपी नाम का अमृत कलश दिखा.
शिवसेना कांग्रेस और NCP के साथ हाथ मिलाकर सेकुलर हो चुकी है.ऐसे में राज ठाकरे की पार्टी मनसे को बैठे बिठाये हिंदुत्व का वह हाथी मिल गया जिसकी सवारी कर कभी बाल ठाकरे मुंबई समेत महाराष्ट्र पर राज किया करते थे. फिर क्या था आनन फानन में पार्टी का झंडा बदल कर भगवा किया गया और बाल ठाकरे वाली शैली में भाषण दिया गया.
अब आपको राज ठाकरे के भाषण के कुछ अंश बताता हूं...
* भगवा झंडा साल 2006 से मेरे दिल में था. हमारे डीएनए में भगवा है. मैं मराठी हूं और एक हिंदू हूं..
*हम लोगों की आरती से किसी को परेशानी नहीं होती लेकिन तुम्हारी नमाज़ से लोगों को परेशानी क्यों होती है?
* पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर निकालने में केंद्र सरकार मदद करेंगे.इस समय देश में नागरिकता संशोधन कानून पर बहस चल रही है लेकिन हमें किसी ऐसे व्यक्ति को आश्रय क्यों देना चाहिए जो अवैध रूप से बाहर से आया है.
*हम पाकिस्तान और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों को भारत से बाहर निकालने के लिए 9 फरवरी को एक विशाल रैली निकालेंगे
*भारत में मुस्लिम मौलवी दूसरे देशों में जाते हैं, किसी को नहीं पता कि वे क्या करते हैं, यहां तक कि पुलिस भी नहीं जा सकती...
उन्होंने अपने लंबे भाषण में कई मुद्दों पर बात की और साफ तौर पर इशारा किया कि वे अपने चाचा बाला साहेब ठाकरे की 'कट्टर हिंदुत्व' की परंपरा को आगे बढ़ायेंगे... अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना के पारंपरिक वोटर मनसे के साथ जुड़ेंगे जिससे शिवसेना को नुकसान पहुंचेगा. हो सकता है कि शिवसेना के कट्टर नेता मनसे के साथ जुड़ें यह भी संभव है जो स्थिती अब तक मनसे की थी उसी स्थिती में शिव सेना पहुंच जाये.
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