जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खातमे के लिए चुन-चुन कर आतंकियों को खत्म किया जा रहा है. शनिवार को 5 और रविवार यानी कल 4 आतंकियों को जहन्नूम पहुंचा दिया गया. मारे गए आतंकियों में सभी की पहचान लगभग हो चुकी है. उसमें से एक की पहचान हिजबुल के कमांडर फारुक अहमद नल्ली के तौर पर हुई. जो ए प्लस पल्स कैटगिरी का आतंकी था. आप सोच रहे होंगे कि आखिर मारे गए 9 मिलिटेंट में से मैंने नल्ली का नाम ही क्यों लिया? जानकारी के मुताबिक नल्ली पर साल 2008 में अटेंप टू रेप का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है... वैसे तो नल्ली के खिलाफ दर्ज किये गए मुकदमों की फेहरिस्त लंबी है... जिसमें पत्थरबाज़ी से लेकर पुलिस और आम शहरीयों पर फायरिंग जैसे मामले शामिल हैं... लेकिन सबसे शर्मनाक मामला उसपर बलात्कार का है... जो साल 2008 में दर्ज कराया गया था... यही नल्ली कश्मीर के कुछ लोगों के लिए हीरो था. किसी भी समाज में क्या एक रेप एक्यूज़ को हीरो बनाया जा सकता है? नल्ली तो अपराधी प्रवृत्ति का शुरु से ही है लेकिन क्या वो लोग भी कश्मीर को दहशत की और अनैतिकता की आग में झोंकने में उतने ही बरारब के हिस्सेदार नहीं होंगे जो बलात्कारी, हत्यारों और अपराधी किस्म के लोगों को अपना हीरो बनायेंगे.... तब तो विनाश की तरफ आप खुद जा रहे हैं... 
बेगुनाहों के खून का एक-एक कतरा आप से हिसाब मांगेगा... हिसाब अजय पंडिता के जिस्म से निकले खून की छिंटे भी मांगेगी... कि कश्मीरी पंडितों को अपने घरों से एक बार उजाड़ कर दोबारा बसाने की बात करने वाले मौका मिलते ही उन्हें निशाना बनाते हैं... जान से मार देते हैं... जैसे अनंतनाग के लरीकपोरा में अजय पंडिता को मार दिया. अजय वहां के सरपंच थे. कांग्रेस पार्टी के समर्थक थे... इलाके के तरक्की की बात किया करते थे... इसी सोच के साथ सरपंच भी बने थे... लेकिन जिन्हें बारुद की गंध पसंद होती है उन्हें तरक्की की खुशबू अच्छी कहां लगती है... 370 और 35 ए हटने के बाद से ही कश्मीर के पाकिस्तान परस्त हिंदू फोबिक आतंकियों को डर सताने लगा था कि अब कश्मीर को 100 फीसद इस्लामिक स्टेट बनाने का ख्वाब टूट जायेगा... अब पंडितों के साथ देश के कोने-2 से लोग आकर जन्नत में बसेंगे... जनसंख्या का वितरण बदल जायेगा. इसलिए वे चाहते हैं कि कश्मीर में डर का साया बरकरार रहे..और उनके एजेंडे पर आंच न आये... लेकिन संख्या में कम रह गए ये आतंकी इन्हीं ख्वाबों के साथ जहन्नूम जाते रहेंगे... उनके पाप का घड़ा तो 90 के दशक में ही भर चुका था... इसलिए कश्मीर में आतंकवाद अब अपनी अंतिम सांसे ले रहा है. जो कश्मीरी शेख चिल्ली के सपने देख रहे हैं उन्हें भी होश में आजाना चाहिए.


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