हाथरस मामले में रेप पीड़िता के चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि यूपी के ही बलरामपुर से बलात्कार की एक और घिनौनी खबर से रोंगटे खड़े हो गए. मामले में जांच की बात कही जा रही है इसलिए जल्दीबाज़ी में कुछ भी लिख देना उचित नहीं होगा.
हाथरस में हुई जघन्यता किसी से छिपी नहीं है. सच या झूठ को लेकर तर्क वितर्क करने वालों को इसी बात पर चुप हो जाना चाहिए कि एक लड़की की जान जा चुकी है. उसे जलाया जा चुका है अब वो नहीं है क्या इस बात से कोई इंकार कर सकता है? क्या यूं ही उसकी जान चली गई होगी? नहीं न ...
ठीक उसी तरह बलरामपुर में भी पीड़िता की जान चली गई है. कॉलेज में एडमिशन के लिए गई थी. लौटने के समय गांव के ही 5-6 लड़कों ने उसे अगवा कर लिया. नशीला पदार्थ खिला कर उसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया. जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टर को भी बुलाया इलाज के लिए, जब डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिये तो पीड़िता को रिक्शे पर लादकर घर भेज दिया गया. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई. बाहरी और भीतरी चोट ज्यादा थी. लगभग 6 घंटों तक पोस्टमार्टम किया गया. लड़की की मां का कहना है कि बेटी कुछ बोल नहीं पा रही थी... पैर की हड्डी और कमर की हड्डी टूटी हुई लग रही थी... हालांकि डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि नहीं की है. मरने से पहले मां से बोली, 'बहुत दर्द है, अब बचूंगी नहीं'...
पुलिस ने मामले में 2 लड़कों को गिरफ्तार किया है दोनों की तस्वीर लगा रहा हूं, एक का नाम शाहिद है दूसरे का नाम साहिल है.मामले में और भी लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है.
बलरामपुर हो या जयपुर घटनाओं को प्रियांका वाड्रा के चश्मे से न देखें धुंधली नज़र आयेंगी. आपकी जानकारी के लिए यह भी बताता चलूं कि बलरामपुर की घटना के बारे में पढ़ते हुए पता चला कि आज़मगढ़ और मध्यप्रदेश के खरगोन में भी नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी हुई है. यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि 21 वीं सदी के भारत में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं.
तो क्या अब समय की मांग नहीं है कि बलात्कारियों को समाज के सामने मौत की सज़ा दी जाये. मानव अधिकार संबंधी कानून तो मानवों पर लागु होते हैं दानवों पर नहीं फिर सरे आम सज़ा देने में बुराई ही क्या है? क्यों नहीं ऐसे राक्षसों को चौराहे पर लटका दिया जाता? केंद्र सरकार से अनुरोध है कि बलात्कारियों को होने वाली फांसी को कवर करना अनिवार्य कर दिया जाये और दोषियों को वहीं फांसी हो जहां अपराध किया गया हो....
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