सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

हम अपने धर्म से दूर क्यों हो रहे हैं ?

 हमें हमारे गौरवशाली धर्म  और संस्कृति का पता ही नहीं है.. इसलिए आज हम अपने सनातन धर्म का मजाक उड़ाने वालों और अवहेलना करने वालों को जवाब नहीं दे पाते. कई बार तो हम उनसे सहमत भी हो जाते हैं और अपनी संसकृति को गाली देना शुरु करते हैं और खुद को नास्तिक...

कई बार हमें अपने धर्म पर विश्वास तो होता है लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं होती. जानकारी के अभाव में हमारे पास तर्क नहीं होते और हम भटक जाते हैं... आप इस पोस्ट को पढ़ते हुए स्वयं इसकी जांच कर सकते हैं...  

सनातन धर्म का मजाक उड़ाना बहुत आसान है. उसे जानना कठिन... जानना कठिन नहीं था लेकिन इसे कठिन किया गया... भारत के अंदर सनातन धर्म की शिक्षा को सिस्टमैटकली प्रेजेंट नहीं किया जा रहा है.  आज एक व्यक्ति जो भारतवर्ष में जन्म लेता है वह केवल इसलिए हिंदू है क्योंकि उसने हिंदू परिवार में जन्म लिया है.  अगर पूछा जाये गीता में कितने श्लोक हैं या कितने अध्याय हैं .. अगर पूछा जाये चारों वेदों के नाम क्या हैं... उपनिषद क्या हैं कितने हैं किन्ही तीन का नाम बतायें...

भागवत ग्रंथ के बारे में बतायें.... दावे के साथ कह सकता हूं  ज्यादातर लोग इन सभी का जवाब नहीं दे पायेंगे...  क्योंकि हमें हमारे व्यवस्थित शिक्षा (सिस्टमेटिक एजुकेशन) से ही दूर कर दिया गया. जिससे उनको पता ही नहीं चलता कि उनका कितना गौरवशाली और वैज्ञानिक धर्म है...  धर्म तो तब जानेंगे न जब उन्हें इसके अध्ययन का अवसर मिलेगा.  इसलिए कोई भी आता है और उल्लू बना देता है...  

पहले हमारे देश में गुरुकुल पद्धति (सिस्टम) हुआ करती थी... गुरु शिष्य परंपरा हुआ करती थी...  जब अंग्रेज यहां आये तो उन्होंने सबसे पहले हमारे गुरुकुल सिस्टम को तोड़ दिया. अपना  स्कूल एजुकेशन सिस्टम लाद दिया... जिसे हम उनके जाने के बाद भी ढो रहे हैं... गुरुकुल खत्म हुए तो गुरु भी जाते रहे उनके साथ जारी रही वह पूरी जानकारी और संस्कृति जो हमारी पहचान हुआ करती थी.

 जानकारी के अभाव में अगर आज किसी तरह का आरोप आप पर लगता है तो आप क्या जवाब दे सकते हैं... "हां, फिर होता होगा ऐसा ही" ...

कमी आपकी इच्छा शक्ति में नहीं है न आपको गलत ठहराने की कोशिश कर रहा हूं मैं. बस  एक ही जगह कमी है हमारे एजुकेशन सिस्टम में...  अगर आप उसका अध्ययन करेंगे तो न कोई बाबा आकर आपको कुछ भी बरगला सकता है न कोई दूसरा व्यक्ति सनातन धर्म के बारे में कुछ कहकर जा सकता है...  

दूसरे धर्मावलंबियों की बात करें तो पायेंगे कि हर मुसलमान के हाथ में कुरान होगा, क्रिस्चन(इसाई) के हाथ में बाइबिल होगी कितने हिंदू अपने पास गीता रखते हैं?

हमारे ग्रंथों को बिना पढ़े हम उन्हें नहीं जान सकते. ग्रंथो के मूल में क्या है ? इसलिए कोई भी आता है कुछ भी बोलकर चला जाता है, और आप उसके हां में हां मिला देते हैं...  

कोई स्टैंडप कॉमेडियन सनातन मान्यताओं का मज़ाक उड़ा देता है. आप ताली बजाते हैं...पीके और ओ माई गॉड जैसे फिल्मों में अपने तरीके से सनातन मान्यताओं का वर्णन और मजाक उड़ाया जाता है और हम उन्हीं फिल्मों को 100-200 करोड़ रुपये दे कर आजाते हैं.. क्या शानदार मजाक उड़ाया हमारा वाह...  मजा आ गया...  आप एक बार देखेंगे बार बार देखेंगे अपने ही धर्म का मजाक उड़ायेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप और आपके बच्चों का ब्रेन वाश कब हो गया?

अपने ही देवी देवताओं से आपको अरुचि होने लगेगी... आपको बस यही लगेगा कि यार हमारे धर्म में तो मूर्ति पूजा है और कुछ फ्रॉड गुरु या बाबा हैं बस...इस तरह आपको आपके धर्म से दूर किया जा रहा है धीरे-धीरे.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...