क्या आप आत्मा में विश्वास रखते हैं?
आत्मा में विश्वास रखें न रखें अगर बात आपके साथ विश्वासघात की हो तो उस पार्टी को भी माफ मत कीजिए जिन्हें आपने वोट दिया है....
14 जून 2020 को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत अपने घर में मृत पाए गए थे. उस वक्त महाराष्ट्र में बीजेपी को धोखा देकर सीएम बने उद्धव ठाकरे की सरकार और मुंबई पुलिस के बीच शानदार सांठ-गांठ थी. जब सुशांत सिंह के मौत की ख़बर मीडिया में फैली तो मौके पर पहुंचने के तुरंत बाद मुंबई पुलिस ने घोषणा कर दी कि सुशांत ने आत्म हत्या कर ली है. मैं यह नहीं कह रहा कि सुशांत आत्म हत्या नहीं कर सकते लेकिन विश्वास के साथ कोई कह सकता है क्या कि सुशांत ने आत्म हत्या ही की?
जैसे ही खबर आपको मिली होगी आपके भी मन में सबसे पहला सवाल यह आया होगा कि आखिर सुशांत ने ऐसा क्यों किया? विश्वास नहीं हो रहा होगा कि यह खबर सच्ची है. फिर सोच रहे होंगे आत्म हत्या नहीं हो सकता है किसी ने उसे मार दिया हो... लेकिन मुंबई की पुलिस ने सीधे इसे आत्म हत्या बता दिया और आखिर तक इसे साबित करने के लिए काम करती रही. सच का पता लगाने के लिए नहीं.
लोग सुशांत की आत्महत्या वाली थ्योरी पर यकीन नहीं करेंगे... यह बात पुलिस भी जानती थी इसलिए नैरेटिव गढ़े गए...
एक थ्योरी आई कि सुशांत ड्रग्स लेते थे... इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली... ड्रग्स लेने या शराब पीने से इंसान बीमारी से मरता है आत्महत्या कर के नहीं. ऐसा नहीं है कि नशे में लोग आत्म हत्या करते ही नहीं हैं...लेकिन उस आत्महत्या का भी कुछ तात्कालिक कारण होता है... जैसे -प्यार में धोखा, शेयर में पैसे खो देना, पारिवारिक कलह, इत्यादि.
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था. हां यह जरुर कहा गया कि रिया चक्रवर्ती के छोड़कर जाने के बाद वो डिप्रेशन में चला गया...
परंतु सोचिये जिस लड़के ने कुछ ही साल पहले अपने एक गर्लफ्रेंड को छोड़कर दूसरी गर्लफ्रेंड बनाई वह दूसरी के लिए इतना डिप्रेशन में चला जाएगा कि आत्महत्या कर लेगा?
एक के बाद दूसरी बनाई तो दूसरी के बाद तीसरी बनाने के चांस ज्यादा हैं या आत्महत्या के वो भी तब जब बात किसी बॉलिवुड के चमकते सितारे की हो... ?
डिप्रेशन से जुड़ी एक और बात सामने आई कि फिल्म न मिलने की वजह से सुशांत अवसाद में थे... लेकिन यह थ्योरी भी नहीं टिकी और जानकारी मिली कि सुशांत के पास तीन फिल्में आ चुकी थी और कई फिल्मों के लिए उनसे डेट को लेकर उनसे विमर्स चल रहा था... पैसों की कमी थी नहीं... आत्महत्या के खिलाफ बनाई गई फिल्म में खुद मेन रोल निभाया. फिर भी एंगल आत्महत्या का ही क्यों उछाला गया...?
रिपब्लिक टीवी चैनल ने मामले को लेकर मुहिम चलाई. महाराष्ट्र सरकार से आर पार की लड़ाई शुरु हो गई. उस समय महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र पुलिस की साझेदारी देखते बनती थी... एक शब्द उद्धव कहते तो दूसरा परमबीर..तब जाकर वाक्य पूरा होता था.
महाराष्ट्र की पुलिस और महाराष्ट्र की सरकार एक तरफ थे तो दूसरी तरफ थे रिपब्लिक टीवी चैनल और बीजेपी की स्थानीय इकाई. खूब रस्सा-कस्सी हुई.
फिर एक दिन संजय राउत और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात होती है. उस मुलाकात के बाद बीजेपी को सांप सुंघ जाता है. तब तक मामला सीबीआई को सौंपा जा चुका होता है... सीबीआई के साथ एनआईए भी है.. खूब धड़पकड़ होती है रिया चक्रवर्ती से लेकर पूछताछ के लिए बुलाए जाने वाले छोटे-मोटे ड्रग डीलर तक को चौबिसो घंटे कवर किया जाता है.
ध्यान दीजिए अब तक सुशांत की मौत की गुत्थी उलझी है लेकिन रिया समेत बॉलीवुड के चरसियों और नशेड़ियों पर रेड मारना जारी रहता है. पता चला बॉलीवुड में नशेड़ी भरे पड़े हैं उनमें से कई ऐसे हैं जिनकी गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड छोड़कर जा चुकी है... कई हैं जिनके पास काम नहीं है... लेकिन वे मस्त हैं... किसी ने आत्म हत्या नहीं की.. और किसी का ध्यान इस पर नहीं गया. पुलिस का भी नहीं. जांच एजेंसियों का भी नहीं. बीजेपी के खामोशी के बाद मामला धीरे-धीरे शांत होता गया... और अच्छा सा मुहूर्त देखकर सीबीआई ने भी कह दिया कि यह एक आत्म हत्या का मामला लग रहा है लेकिन सीबीआई ने आत्महत्या की वजह नहीं बताई... बहुत सी बातें बहुत से सवालों का जवाब नहीं मिला...
आदित्य ठाकरे का नाम बार बार उछला लेकिन उससे न तो एनआईए ने पूछ ताछ की न ही सीबीआई ने फिर मुंबई पुलिस भला क्या पूछताछ करती?
वो तो खुद सरकार की गोद में सोई हुई थी... परमबीर सिंह परमभक्त बने हुए थे. अर्णव गोस्वामी को गिरफ्तार करना हो या सचीन वाझे से उसूली करवाना.. सारी फरमाइशें पूरी की गईं...
सबकुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी गाड़ी ने सारा गणित बदल दिया. सरकार और पुलिस की साझेदारी में जैसे दरार आ गई हो... मामले में सचिन वाझे गिरफ्तार हुए... परमबीर सिंह को पद से हटा दिया गया. होम गार्ड डिपार्टमेंट में उनका ट्रांसफर हो गया. सचिन से सीन रिक्रिएट करवाए गए... उसके बाद परबीर का धैर्य जवाब दे गया... उन्होंने सीएमओ में एक मेल लिखा और कहा कि गृह मंत्री अनिल देशमुख सचिन वाझे पर दबाव बना रहे थे कि हर महीने 100 करोड़ की उगाही कर के उनतक पहुंचाए.
उद्धव ठाकरे जब तक ईमेल की जांच करते तबतक अनिल देशमुख बोल पड़े कि मुझपर लगाए गए आरोप झूठे हैं और परबीर सिंह व सचिन वाझे कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए उनपर झूठा इल्ज़ाम लगा रहे हैं...
मतलब साझेदारी की धज्जियां उड़ गईं... कम से कम सत्यापित तो होने देते अनिल देशमुख कि मेल परमजीत ने ही किया था या किसी और ने...
लेकिन अविश्वास और गलती करने के बाद का डर शायद ऐसा ही होता है...
आदित्य ठाकरे लेटर मिलने के बाद से कोरोना मरीज़ हो गए हैं... लेकिन आत्मायें उनको नहीं छोड़ने वाली... इतनी हत्यायें इतना पाप भला कहां छिपने वाला है... कलयुग हो या घोर कलयुग हिसाब तो यही देना है... पालघर में जान से मार दिए गए साधुओं की आत्मा.... सुशांत सिंह राजपूत की आत्मा... और अब मनसुख हिरेन की आत्मा... मिलकर सारा खेल खेल रही हैं... गुनहगारों को सज़ा मिलेगी...
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