सोमवार, 10 मई 2021

चीन का जैविक हथियार है कोरोना ?

 आज काल के जिस चक्र में हम जी रहे हैं उसमें आने वाला समय किस रुप में हमारे सामने आएगा कोई नहीं जानता. हां....अगर हम कुछ कर सकते हैं तो केवल इतना कि आने वाले समय के क़दमों की आहट को  भांप सकते हैं. आगे आने वाले इस समय की मंशा क्या है यह तभी जाना जा सकता है जब हम अपने आंख और कान खुले रखें... मुझे पूरा विश्वास है हम में से अधिकतर लोगों का आंख और कान बंद है... 

अगर आंख और कान खुले होते तो कोरोना के कारण देश की बदहाली के लिए किसी सरकार को दोषी नहीं ठहरा रहे होते... ठहरा लिजिए लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता न ही सरकार को न ही किसी राजनीतिक पार्टी को न उनके फॉलोअर्स को हां आपके लिस्ट में जो जयचंद और अब्दुल बैठे हैं उनकी सराहना मिल जाती है उसी से खुश हो लीजिए आपकी औकाद उतनी ही है... 

खैर, कोरोना को लेकर अमेरिकी खूफिया एजेंसियों ने एक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि कोरोना चीन का एक जैविक हथियार है.  जिसका इस्तेमाल उसने अपने दो बड़े शत्रुओं अमेरिका और भारत के खिलाफ किया है.  यूरोपिय संघ चीन को आंखे न दिखाए इसलिए चीन ने थोड़ा सा प्रयोग वहां भी किया..  

अब आप कहेंगे कि यह तो 2020 से कहा जा रहा है लेकिन सबूत क्या है? 

अमेरिकी विदेश विभाग ने दावा किया है कि उनके हाथ चीनी आर्मी यानी पीएलए और चीन के सैन्य वैज्ञानिकों का तैयार किया हुआ वह दस्तावेज लगा है जिसमें कोरोना वायरस की चर्चा जेनेटिक हथियार के नए युग के तौर पर की गई है.  दस्तावेज 2015 के हैं जिसमें इस बात की चर्चा है कि एक जैविक हमले से शत्रु की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है...

इन कथित दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि इस वायरस को कृ्त्रिम रूप से बदला जा सकता है और इसे मानवों में बीमारी पैदा करने वाले वायरस में बदला जा सकता है...इसका इस्तेमाल एक ऐसे हथियार के रुप में किया जा सकता है जिसे दुनियां ने पहले कभी नहीं देखा हो...

चीन ने जान बूझ कर इस वायरस का इस्तेमाल सुपर पावर बनने के लिए किया इसे समझने के लिए आपको एक बार फिर साल 2018-19 में चलना होगा जब अमेरिका और चीन के बीच कभी दक्षिण चीन सागर तो कभी दूसरे मुद्दों को लेकर गतिरोध चरम पर था...  उसी समय चीन  वियतनाम, ताइवान, फिलिपींस समेत यूरोपीय देशों के साथ भी उलझ रहा था... इन सब के बीच चीनी सेना ने भारत में भी घुसपैठ का दुस्साहस किया. परिस्थितियां युद्ध की बन चली थीं फिर भी चीन ने युद्ध नहीं किया... परंतु उलझता जरुर रहा...  चीन जानता है पारंपरिक युद्ध में भारत का मुकाबला करना आसान नहीं होगा...  परंतु सोचिए ...आखिर एक विकासशील देश इतने मोर्चों पर एक साथ किस शक्ति के दम पर डंटा रहा? 

उसके पास क्या ऐसा है कि पूरी दुनियां एक तरफ और चीन एक तरफ?

2019 में चीन समेत दुनियां भर के देशों में कोरोना के मामले सामने आने शुरु होते हैं...  2020 आते-आते अमेरिका कोरोना से बदहाल हो जाता है... भारत को भी कई महीनों का लॉकडाउन लगाना पड़ जाता है... यूरोपीय देशों में मौत का तांडव होने लगता है...  2021 में कोरोना की दूसरी लहर आती है... तीसरी लहर आती है...  लेकिन चीन में कोई लहर नहीं... 

आज दुनियां भर में कोरोना के 16 करोड़ मामले हैं... जिसमें से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका और भारत है. अमेरिका में लगभग 3.5 करोड़ और भारत में कोरोना के 2.3 करोड़ मामले हैं... चीन के दो बड़े शत्रु देशों के पास कोरोना के लगभग 6 करोड़ मामले हैं पूरी दुनियां में 16 करोड़ और पूरी दुनियां में लगभग 200 देश हैं.  

अब आप कहेंगे हमारे देश की आबादी के कारण कोरोना के मामले ज्यादा है.. तो अमेरिका की आवादी तो 30-35 करोड़ है वहां इतने मामले कैसे? चीन की जनसंख्या तो भारत से भी अधिक है वहां 150 करोड़ लोग हैं... फिर वहां दूसरी तीसरी और चौथी लहर क्यों नहीं आ रही? कैसे वहां कोरोना के सिर्फ 90 हजार(अधिकारिक)  मामले सामने आये? मान लिया चीन ने आंकड़े छिपा लिए जो कि आज के जमाने में संभव नहीं है फिर भी हम कोरोना के मामले 10 लाख ही मान लेते हैं फिर भी भारत और अमेरिका के तुलना में यह कुछ भी नहीं है... वहां मरने वालों की संख्या सिर्फ 5 हजार बताई गई है...  जबकि भारत में अब तक 2.5 लाख और अमेरिका में लगभग 6 लाख लोग मारे जा चुके हैं...  पूरी दुनियां में 33 लाख लोगों की मृत्यु हुई है.  फिर से यदि भारत और अमेरिका के आंकड़ों को मिला दें तो 8.5 लाख लोग इन दो देशों में ही मरे हैं...  

एक ऐसे देश जहां कोरोना का पहला मामला सामने आया जहां से कोरोना की शुरुआत हुई वहां के बड़े अधिकारियों व राजनेताओं को कोरोना नहीं हुआ... वुहान के अलावा दूसरे किसी प्रांत में कोरोना के ज्यादा मामले सामने नहीं आए... इतने विशाल देश में...  8 महीनों में ही इस देश ने ऐसी जादू की छड़ी घुमाई कि कोरोना लगभग गायब हो गया...  

माओ त्से तुंग को अपने पिता का दर्जा देने वाले पत्रकार और राजनेता तो पानी पी पी कर मोदी मोदी कर रहे हैं...  यहां की व्यवस्था को कोस रहे हैं ... लेकिन आपकी आंखों पर गांधारी की पट्टी क्यों पड़ी है?  यदि कोरोना गलती से फैला होता तो सबसे ज्यादा नुकसान चीन को ही होता क्योंकि वहीं से इसकी शुरुआत हुई थी.

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...