अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद से ही तालिबानी आतंकियों ने हाहाकार मचा दिया है. कई शहरों से लूट, सामुहिक नरसंहार, बलात्कार और पलायन जैसी ख़बरें आ रही हैं. कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें तालिबानी लड़ाके महल से लेकर जेल और दूसरे सरकारी इमारतों में दावत उड़ाते नज़र आ रहे हैं.
तालिबानियों की सबसे बड़ी ताकत है कट्टरपंथियों का सपोर्ट. तालिबानियों को उन धर्मांध लोगों का सपोर्ट हासिल है जो इस्लाम के कट्टर विचारधारा में विश्वास रखते हैं. उस क्षेत्र में ऐसे लोगों की अधिकता है इसका कारण है अय्यासी... उन्होंने जिस व्याख्या को अपनाया है उसमें पुरुषों को कई विशेशाधिकार मिले हुए हैं. अफसोस कि इलाके में ऐसे कट्टरतावादी लोगों की अधिकता है औऱ ऐसे लोग तालिबानियों को मजबूत बनाते हैं.
ठीक ऐसी ही स्थिती आने वाले समय में पाकिस्तान में देखने को मिल सकती है. वहां भी धार्मिक कट्टरता चरम पर है. जो एक दिन पाकिस्तान को अफगानिस्तान बना देगा.
आज अफगानिस्तान में जारी लूट पाट और खून खराबा उनके पूर्वजों की कीर्ति का बखान कर रहा है. पूरी दुनियां को यह संदेश जा रहा है कि कट्टरता का परिणाम आज न कल यही होना है. तलवार रक्त मांगता है दुश्मन नहीं मिलेंगे या दुश्मन ताकतवर होगा तो वह अपनों के खून से ही अपनी प्यास बुझाएगा. अफगानिस्तान फौज में भी ज्यादातर लोग मुसलमान हैं. तालिबानी भी खुद को सच्चा मुसलमान कहते हैं. जो तलवारें कल तक दूसरों के लिए उठती थी आज आपस में उठ रही हैं.सुनने में आ रहा है कि अफगानिस्तान के लोग भारत की तरफ उम्मीद लगाए बैठे हैं. हजारों लोग सोशल मीडिया के माध्यम से भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
कुछ समय बाद पाकिस्तान भी कट्टरता का परिणाम भोगेगा. भारत उसी तरह पाकिस्तान के लोगों की मदद करेगा जैसे सन 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की कर चुका है. रही बात अफगानिस्तान की तो वहां पहले भी तालिबान का शासन रह चुका है. एक बार और सही...
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