रविवार, 17 अक्तूबर 2021

हिंदू आखिर बीजेपी को वोट क्यों दें ?

 

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान परस्त इस्लामी आतंकी गैर मुसलमानों को लगातार निशाना बना रहे हैं. आज भी दो बिहारी हिंदुओं को मार दिया गया. ऐसा नहीं है कि फौज कुछ नहीं कर रही है. फौज ने भी 10 दिनों के भितर दर्जन भर आतंकियों के खात्मे का दावा किया है. इनमें हत्या में शामिल आतंकी भी शामिल हैं. तो क्या वे रक्तबीज हैं जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं? रक्तबीज भी एक समय के बाद ठिकाने लगा दिया गया था. आतंकी तो हर दिन चाहेंगे कि 90 के दशक वाली कहानी दोहराई जाए, हमारा खूफिया विभाग क्या कर रहा है? हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया हमला करने वाले आतंकियों के साथ लश्कर के बड़े कमांडर्स को मार गिराया गया फिर उसी पैटर्न के साथ हमला करने वाले ये लोग कौन हैं जिन्होंने आज कुलगाम में मजदूरों पर गोलियां चलाई? 

 दहशतगर्दी की कमर भी सलामत लग रही है और दहशतगर्दों की संख्या भी ठीक ठाक लग रही है. 

 पिछले 10 दिनों से हत्या की बातें सुन सुनकर परेशान हो गया हूं. बांग्लादेश से बंगाल होते हुए कश्मीर तक की घटनाओं ने विचलित भी किया है और यह सोचने पर मजबूर भी किया है कि क्या देश में हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी की ही सरकार है? 

बीजेपी के नेताओं खासकर चाणक्य-चंद्रगुप्त का मुँह बंद है. अब तो सभी प्रकार के नोवल प्राइज़ की भी घोषणा हो चुकी है. 370 और राम मंदिर के नाम पर हजारों हिंदुओं की लाशों और उनपर हो रहे अत्याचार को कैसे अनदेखा कर दूं? 

हद है एकदम!

नोटबंदी देशहित में थी, परेशान हुए, डिफ़ेंड किया. GST में भी वही हुआ. पेट्रोल की कीमतों और महँगाई पर भी लोग डिफ़ेंड कर रहे हैं. इनके वोटर्स इन्हें हर उस जगह समर्थन देते रहे हैं जहाँ राजनैतिक तौर पर अकारण आलोचना हुई.

आज चाणक्य- चंद्रगुप्त मुँह सिले बैठे हैं. बांग्लादेश से ले कर बंगाल तक, हिंदुओं के साथ जो हो रहा है और ये दो गुजराती संत जिस तरह से चुप हैं, जैसे इन्होंने आंतरिक तौर पर आतंकियों और मज़हबी अपराधियों पर लिखने-बोलने का अनकहा आदेश दिया हुआ है, उसका लाभ वो हमारे मंदिर जला कर, हमारी बहन-बेटियों का रेप कर के उठा रहे हैं.

मुट्ठी भर निहंग खुले आम आपके कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. किसानों के भेष में छिपे ये समाजद्रोही तत्व महीनों से सड़क पर अलग गांव बसा कर मनमानी कर रहे हैं. कोई बोलने वाला नहीं.. माइ लॉड लोगों के आंखों पर लगी पट्टी इतनी लंबी हो गई है कि मुंह भी बंद है.

आप किसी भी तर्क से शहीन बाग से ले कर पाल घर संतो की लिंचिंग, बंगाल की चुनावी हत्याओं, चुनाव के बाद की आगज़नी और नर संहार, हिंदुओं की भीड़ हत्या, किसान आंदोलन के नाम पर रेप, हत्या, अराजकता पर भाजपा के शीर्ष नेताओं की  चुप्पी को उचित नहीं ठहरा सकते... सरकार को सरकार चलानी है उन्हें फिर से सत्ता में आने के लिए जद्दोजहद करना है... इसलिए उनके भरोसे मत बैठिये. अपने घरों से निकलिये अपनी ताकत का एहसास करवाईये. कसम खाईये 90 के दशक वाले पाप को उस अन्याय को हिंदुओं के उस नरसंहार को इस देश में दोबारा कहीं नहीं होने देंगे. अपने चुने हुए नेताओं पर, सरकार पर दबाव बनाइये. उनसे पूछिये हिंदू आपको वोट क्यों दें?

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विजयी भवः

सुमार्ग सत को मान कर निज लक्ष्य की पहचान कर  सामर्थ्य का तू ध्यान  कर और अपने को बलवान कर... आलस्य से कहो, भाग जाओ अभी समय है जाग जाओ...