अदम्य साहस की परिभाषा बन चुके चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अब हमारे बीच नहीं हैं. एक दर्दनाक हादसे ने देश से उसके सबसे पराक्रमी लाल को छीन लिया.
हादसा तो हादसा है यह कभी भी किसी के भी साथ हो सकता है. ज्यादातर हादसे हमें आंसू दे जाते हैं... आंसू न आए तो दुख होता है और दुख भी न हो तो अफसोस होता है. आज जो दुर्घटना घटी उसने देश वासियों को इतना बड़ा दुख दिया है कि लंबे समय तक इसका प्रभाव रहेगा. देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ दुर्घटना के शिकार हो गए. देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को इस तरह देह त्याग करना होगा इसकी कल्पना भी शायद ही किसी ने की हो. दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए वायुसेना जांच करेगी. जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी होगी.
भारत सरकार ने 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस का पद सृजित किया था. जनवरी, 2020 में जनरल बिपिन रावत ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का कार्यभार संभाला था.इससे पहले वो 31 दिसंबर 2016 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख रहे थे.सेना प्रमुख के रूप में जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना में आक्रामकता भर दी. उन्होंने अपने सैनिकों को निर्भीक मंत्र दिया. मंत्र - डरना नहीं, दुश्मनों को डराना है.
जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पराक्रम के नये प्रतिमान बनाये. उनके जाने से
देश ने एक श्रेष्ठ सुरक्षा रणनीतिकार को खोया है. सर्जिकल स्ट्राइक हो, एयर स्ट्राइक हो या दूसरे प्रकार के ऑपरेशन हमेशा उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर काम किया.
जनरल रावत की आक्रामक नीति का असर ना सिर्फ पाकिस्तान...बल्कि चीन के खिलाफ गलवान में भी देखने को मिला. गलवान की लड़ाई में भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं. 15 जून 2020 को हुई हिंसक झड़प में भारत..चीन पर भारी पड़ा. उस वक्त जनरल बिपिन रावत...भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS थे. भारतीय सेना से जुड़े बड़े-बड़े अधिकारी जनरल बिपिन रावत की नेतृत्व क्षमता के कायल हैं.
जनरल बिपिन रावत की छवि एक ऐसे Leader की बनी...जिन्होंने ना सिर्फ सैन्य मोर्चे पर बल्कि देशहित से जुड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर भी सरकार के साथ कंधे से कंधे मिलाकर काम किया. जनरल बिपिन रावत उस वक्त भी सरकार के साथ खड़े रहे जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का साहसिक फैसला लिया.
निजी जिंदगी
बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी में एक हिंदू गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था. जनरल बिपिन रावत सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं. उन्हें 16 दिसंबर 1978 को इन्फैंट्री की ग्यारहवीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था. भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से स्नातक होने के दौरान, उन्हें प्रतिष्ठित 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया था.
जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी गोरखा राइफल्स में कार्य कर चुके हैं. उनके पिता सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे. उनकी मां उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से थीं, जो वहां के विधान सभा के पूर्व सदस्य (विधायक) किशन सिंह परमार की बेटी थीं.
हादसे में किन लोगों की हुई मौत ?
सवाल उठ रहे हैं कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का हेलीकॉप्टर दुर्घटनागस्त कैसे हो गया क्या हैलीकॉप्टर में कमी थी या किसी तरह की साज़िश? जब तक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक न हो जाए इस तरह के कयास लगाए जाते रहेंगे.
इस हेलीकॉप्टर में क्रू मेंबर के अलावा जो सवार थे उनमें
1. जनरल बिपिन रावत
2. उनकी पत्नी मधुलिका रावत
3. ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर
4. ले. कर्नल हरजिंदर सिंह
5. नायक गुरसेवक सिंह
6. नायक जितेंद्र कुमार
7. लांस नायक विवेक कुमार
8. लांस नायक बी. साई तेजा
9. हवलदार सतपाल
शामिल थे.
जनरल बिपिन रावत का जाना...ना सिर्फ भारतीय सेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती.
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