रामनवमी हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव आदि काल से ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता रहा है.शोभा यात्राएं निकाली जाती रही हैं. हर कोई अपने-अपने तरीके से राम का प्रकटोत्सव मनाते रहे हैं. परंतु आने वाले समय में इस देश के लोग कब तक भगवान राम व अपने इष्ट देवी देवताओं की पूजा कर पाएंगे कहना कठिन है. कहना कठिन है कि कब तक हम अपनी मूल संस्कृति की रक्षा कर पाएंगे.
आप अब तक जान चुके होंगे कि रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान देश के 6 राज्यों में भारी उपद्रव हुआ. गुजरात, झारखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में उपद्रवियों ने पथराव किया. गुजरात में तो एक की मौत भी हो गई. दिल्ली के जेएनयू में हंगामा हुआ.
गुजरात के साबरकांठा, आणंद और द्वारका में उपद्रवियों ने भारी बवाल किया. साबरकांठा में दुकानें जला दी गई. आणंद में शोभा यात्रा पर पथराव हुआ एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसी तरह पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा में हमला हुआ. मध्यप्रदेश के खरगोन में अगजनी हुई घरों को आग लगा दिया गया. झारखंड के लोहरदागा में धारदार हथियारों से रामनवमी के शोभा यात्रा पर हमला हुआ.कर्नाटक के कोलार में भी रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव हुआ. दिल्ली में लेफ्ट वालों की नौटंकी से तो आप अवगत ही हैं.
इन सभी हमलों में 2 बातें कौमन हैं. 1- हर जगह रामनवमी की शोभायात्रा पर सुनियोजित तरीके से हमले हुए.2- जहां-जहां हमले हुए वे सभी मुस्लिम इलाके कहे जा रहे हैं.
आपको याद होगा राजस्थान के करौली में भी इसी प्रकार की घटना घटी थी जब हिंदू नववर्ष के मौके पर शोभा यात्रा निकाली गई थी.इसके बाद वहाँ हिंसा और आगजनी हुई. राजस्थान पुलिस ने अपने बयान में कहा कि हिंदू,भड़काऊ गाने चला रहे थे और चूँकि इलाका मुस्लिम बहुल था इसलिए हिंसा भड़क गई.
अर्थात निकाली गई शोभा यात्रा पर मुस्लिम भीड़ ने आक्रमण किया. गुनाह बस इतना था कि यात्रा मुस्लिम इलाकों में से निकाली जा रही थी.
मैं अपने ही देश के इन इलाकों के बारे में बात कर रहा हूं, जहां बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदू यात्रा नहीं निकाल सकते. यदि निकाली हिंसा हुई तो सारा दोष हिंदुओं का है. आखिर उन्होंने अपने ही त्योहार पर गाने बजाकर यात्रा निकालने की जुर्ररत कैसे की. भारतीय सेकुलर लिबरलों का मानना है कि हिंदुओं को हमेशा विनम्र, मिलनसार होना चाहिए और उनमें कभी भी इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि वो देश के ही ऐसे इलाकों से यात्रा निकालें जहां मुस्लिम रहते हैं. यहां भाई-भाई और गंगा जमुना तहजीब के शील्ड की जरुरत नहीं है.
तर्क दिए जा रहे हैं कि आखिर हिंदू लोग मुस्लिम इलाके से गुजरे क्यों? क्यों मुस्लिम इलाकों में भारतीय गणराज्य की सभी सीमाएं समाप्त हो जाती हैं क्या?
और आखिर ये ‘मुस्लिम इलाका’ है क्या चीज? क्या ये कोई अलग इलाके हैं जहाँ हिंदुओं को आने की अनुमति नहीं है?
यह देश एक बार मुस्लिम इलाकों का दंश झेल चुका है. इतिहास के मुस्लिम इलाके आज मुस्लिम देश बन चुके हैं. मुस्लिम इलाके ही वह वजह हैं जिनकी वजह से देश के टुकड़े हुए.मुस्लिम इलाके हैं जिसके कारण कश्मीर में रालिव- गैलिव-त्यासालिव गूँजा और हिंदुओं को इज्जत व जान बचाकर भागना पड़ा. जो भाग नहीं सके उनके साथ जो हुआ वह कश्मीर फाइल्स में देखिए थोड़ा सा अंदाजा लग जाएगा. मुस्लिम इलाके हैं वजह जिसके कारण पूर्वी बंगाल में लाखों बंगाली हिंदू मारे गए, बलात्कार किए गए. आज भी जो थोड़े बहुत नाम मात्र शेष हैं उनके साथ बर्बरता की ख़बरें आती रहती हैं.
मुस्लिम इलाकों से राम की जयजयकार करते गानों को पथराव का दोषी ठहराते वक्त गंगा जमुना थ्योरी क्यों नहीं याद आती तथाकथित सेकुलरों को?
एक आरोप लगता है कि शोभा यात्रा में भड़काऊ गाने बजाए जाते हैं- जय श्री राम भड़काऊ है? राम का गुणगान एक उत्साहपूर्ण संगीत के साथ लिया जाना भड़काऊ है? अच्छा फिर वह क्या है जो हर रोज सुबह लाखों-करोड़ो हिंदुओं को जबर्दस्ती सुनाया जाता है?
वह भड़काऊ नहीं है?
क्या अजान का अर्थ हम नहीं जानते?
अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर
मतलब: अल्लाह सबसे बड़ा है
अश्हदुअल्ला इलाहा इल्लल्लाह
मतलब: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं.
हिंदू 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा करते हैं. हर गांव में उनके ग्राम देवता अलग होते हैं. उन्हें जो आप यह सुनाते रहते हैं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं उन्होंने तो कभी आपत्ति नहीं की. हमारे तो प्रर्रथना का हिस्सा होता है सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया. पता कीजिए इस श्लोक का अर्थ गूगल पर... सनातन धर्म का मूल संस्कार वसुधैव कुटुम्बकम् है. परंतु इस तरह की घटनाएं उकसावे वाली हैं. फिर जब कहीं क्रिया का प्रतिक्रिया होता है तब यही लोग जो हाथ में पत्थर लिए होते हैं इनके हाथों में विक्टिम कार्ड नज़र आने लगता है. एक्सपोज हो चुके हैं अब आप लोग सिर्फ इस देश से ही नहीं पूरी दुनियां से...
यदि देश को विश्वगुरु बनना है. शांति भाई चारा स्थापित करनी है तो मजहबी धर्मांधता को बढ़ावा दिया जाना बंद करना होगा. एक सेक्युलर देश की शोभा किसी शोभा यात्रा पर पत्थर बरसा कर या राम के जयकारों से चिढ़ कर नहीं हो सकती. शोभा तो होती कि रामभक्तों का सत्कार किया जाता. उनके साथ कदम से कदम मिलाकर जिस तहजीब की दुहाई देते हैं उसे सत्यापित करने की कोशिश भी करते. अच्छा लगता कि शोभा यात्रा में शामिल हो कर देश की शोभा बढ़ाते. हालांकि धर्म के नाम पर इलाके बांटने वालों से इस तरह की उम्मीद निर्रथक है.